बर्ड फ्लू से बचाव के लिए मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने जारी की एडवाईजरी
फतेहपुर 17 मई।डा० वेद ब्रत गंगवार मुख्य पशु चिकित्साधिकारी फतेहपुर ने बताया कि पक्षियों में होने वाली बर्ड फ्लू बीमारी से ग्रसित पक्षियों में पाये जाने वाले लक्षण यथा कलंगी एवं वाटल का नीला पडना, पंजों का नीला पडना एवं रक्त स्त्राव, आंखों से पानी बहना चेहरे एवं गर्दन पर सूजन का होना जबकि सामान्य पलू में नाक से पानी बहना एवं साँस लेने में कठिनाई होना पाया जाता है।
“रोग से बचाव कैसे करें”
कुक्कुट फार्म में स्वच्छता रखें एवं कीटाणुनाशक का छिडकाव करें।बीमार पक्षियों को हमेशा स्वस्थ्य पक्षियों से अलग रखें।कुक्कुट एवं कुक्कुट उत्पाद 70 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान पर 30 मिनट तक पकाने से वायरस नष्ट हो जाता है इसके उपरान्त ही प्रयोग करें। कुक्कुट फार्मों के समीप सूकर पालन न करें।कुक्कुट फार्म के प्रवेश द्वार पर फुटवाश अवश्य बनाये जिसमें सोडियम हाइड्राक्साइड का घोल रखें। फार्म के मुख्य प्रवेश द्वार पर वाहन को कीटाणुरहित करने के पश्चात ही प्रवेश दें।
आगन्तुकों का फार्म में प्रवेश नियंत्रित रखें अतिआवश्यक होने पर प्रवेश कुछ सावधानियों को ध्यान में रखते हुये जैसे गमबूट, डिस्पोजल कपडे, मास्क पहन कर एवं हाथ साबुन से धोने तथा कीटनाशक घोल (लाल दया, डिटाल, सेवलान आदि) से कीटाणुरहित करने के पश्चात ही प्रवेश दिया जाये। कुक्कुट फार्म के शेड व आसपास सफाई रखें, परिसर के खरपतवार की सफाई करवायें व चूहों के रोकथाम के उपाय रखें।फार्म में उपयोग में लाये जाने वाले उपकरण व बाहर से लाये नये उपकरण जैसे अण्डों की ट्रे इत्यादि को सोडियम हाइपोक्लोराइड से कीटाणुरहित करने के पश्चात ही उपयोग में लाये। फर्श व दीवारों को कीटाणुरहित करने के लिये क्वाटरनरी अमोनियम साल्ट का प्रयोग करें।नये लाये गये कुक्कुटों को कम से कम 30 दिनों तक फार्म के कुक्कुटों से दूर रखें।फार्म परिसर में बिल्ली, कुत्ता व अन्य जंगली जानवरों का प्रवेश न होने दें।
फार्म के कुक्कुटों को प्रवासी पक्षी, बत्तख, वाटर फाउल आदि के सम्पर्क में न आने दें।
“मृत पक्षियों का निस्तारण कैसे करें”
मृत पक्षियों को जलाकर अथवा गहरे गड्ढे में दबाकर निस्तारित करें।
मृत पक्षियों को जलाने के लिये 100 कि०ग्रा० मृत पक्षियों पर 05 कुन्टल लकड़ी होनी चाहिए।
गड्ढे में डालने के लिये कम से कम 2 मी० लम्बा 2 मी० चौडा एवं 2 मी०गहरा गड्ढ़ा होना चाहिए यह 1800 मृत पक्षियों के लिये उपयुक्त है। इसके उपरान्त कैल्शियम हाइड्राक्साइड की परत देकर मिट्टी की परत से दबाना चाहिये।